माँ सरस्वती
स्वागत करूँ मैं माता हंसवाहिनी तुम्हारा
यशगान बस तुम्हारा ही लक्ष्य हो हमारा,
माँ शारदे नमन हो चरणों में नित तुम्हारे
तुमने ही’ निज जनों को अज्ञान से उबारा,
आयी शरण तुम्हारी तज लोक लाज सारी
तव कृपा नित्य बन कर बहती है ज्ञान धारा,
हम शक्ति हीन हैं माँ पतवार बिना नैया
यदि हो दया तुम्हारी मिल जाये’गा किनारा,
रूठे भले जगत यह माँ तुम न रूठ जाना
शिशु को सदा ही होता माता का ही सहारा,
झनकार रहे माता सब छंद नूपुरों में
वर वीण दण्ड मण्डित शुभ हाथ है निहारा
पद युगल शुभ तुम्हारे रज रंच मात्र पाऊँ
उद्धार मेरा होगा यह हृदय ने पुकारा।