Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 1 min read

*माँ सरस्वती जी*

माँ सरस्वती जी

कृति रूप बनी हर भाव तुम्हीं।
प्रिय सुन्दर स्नेहिल छांव तुम्हीं।।
तुम अक्षर शब्द स्वभाव बनी।
प्रिय अंतिम भाव पड़ाव बनी।

तुमसे जग उत्तम लगता है।
दर्शनीय भावन उगता है।।
तुम विराट ब्रह्मा अविनाशी।
अवधपुरी मथुरा शिव काशी।।

वर दे वर दे मातृ शारदे।
सारा जग खुशियों से भर दे।।
बढ़ती शंका दूर करो माँ।
लंका चकनाचूर करो माँ।।

191 Views

You may also like these posts

शिक्षक हमारे देश के
शिक्षक हमारे देश के
Bhaurao Mahant
संस्कार संस्कृति सभ्यता
संस्कार संस्कृति सभ्यता
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
डॉ. दीपक बवेजा
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
धर्म बनाम धर्मान्ध
धर्म बनाम धर्मान्ध
Ramswaroop Dinkar
हम सम्मान करें गुरुओं का
हम सम्मान करें गुरुओं का
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बड़ा कौन
बड़ा कौन
Sanjay ' शून्य'
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
Suryakant Dwivedi
हमें लक्ष्य पाना है
हमें लक्ष्य पाना है
Sudhir srivastava
मेरी किस्मत
मेरी किस्मत
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ऐ ज़िंदगी
ऐ ज़िंदगी
Shekhar Chandra Mitra
इंसान का मौलिक अधिकार ही उसके स्वतंत्रता का परिचय है।
इंसान का मौलिक अधिकार ही उसके स्वतंत्रता का परिचय है।
Rj Anand Prajapati
ढूंढ रहा हूं घट घट उसको
ढूंढ रहा हूं घट घट उसको
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
आप थे साथ वरना खो जाते
आप थे साथ वरना खो जाते
Dr Archana Gupta
इबादत!
इबादत!
Pradeep Shoree
कुछ-न-कुछ तो करना होगा
कुछ-न-कुछ तो करना होगा
कुमार अविनाश 'केसर'
ताजमहल
ताजमहल
Satish Srijan
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
..
..
*प्रणय*
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
आर.एस. 'प्रीतम'
"एकता का पाठ"
Dr. Kishan tandon kranti
*Lesser expectations*
*Lesser expectations*
Poonam Matia
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
मौन मुहब्बत में रही,आंखों में थी आश।
सत्य कुमार प्रेमी
हर तरफ से जख्म खाए है
हर तरफ से जख्म खाए है
$úDhÁ MãÚ₹Yá
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
सच जानते हैं फिर भी अनजान बनते हैं
सच जानते हैं फिर भी अनजान बनते हैं
Sonam Puneet Dubey
एक थी नदी
एक थी नदी
सोनू हंस
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
Neerja Sharma
𝐓𝐨𝐱𝐢𝐜𝐢𝐭𝐲
𝐓𝐨𝐱𝐢𝐜𝐢𝐭𝐲
पूर्वार्थ
4355.*पूर्णिका*
4355.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...