माँ शेरावाली
लेकर, सिंह शेर की सवारी
आयी लाल चुनरिया वाली
दुख,हर भक्तों का हरने वाली
नाश,असुरों का करने वाली
आवो भक्तों सजाएं माँ का दरबार,की मईया आन पड़ी।
खोलो मंदिर के सारे कपाट की, मईया द्वार खड़ी।
माथे तिलक, मुकुट सिर सोहे
गले में रख,माला नैन मन मोहे
रिमझिम फ़ूल इंद्रलोक से बरसे
देव गण भी,तेरे दर्शन को तरसे
आओ भक्तों मनाए नवरात्र , कि मईया आन पड़ी।
आओ मिलकर जगें नव रात की, मईया जाग रही।
तेरे चरणों में माँ है,ये जग सारा
हे माँ करना तुम,कल्याण हमरा
मुख पर सूर्य चमक सी चमके
अष्ठ भूजों संग शास्त्र ये सजते
चलो भक्तों, सजाएं घर द्वारा, की मईया आन पड़ी।
खोलो घर के,तुम सारे द्वार, की मईया आन पड़ी।
संजय कुमार✍️✍️