माँ शारदा’
ए चाँद! पूजे तुझे करवा चौथ पर हर सुहागन,
करे तुझसे अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना….
सजी रही उसके माथे की बिंदिया,
चूड़ियों की खनखन से महकती रहे उसकी बगिया,
पायल की झंकार से झूम उठे उसका पिया….
ए चाँद! यही तो माँगे हर सुहागन तुझसे,
माँगे आज यह सुहागन अपनी माँ के लिए दुआएँ तुझसे….
जन्म-मृत्यु तो है जीवन का चक्र, पर जानकर अंजान है हम,
जीवन के चक्रव्युह में उलझे रहते है हम,
मोह माया ने जकड़ लिया हमें…..
ए चाँद ! जन्म क्या है? पंचतत्व ( मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु और शून्य) से निर्मित देह,
आत्मा( अनंत्) ही जोड़कर रखती देह को,
ईश्वर ने जन्म देने के लिये सृष्टि में भेजा माँ को….
मृत्यु क्या है? किसी भी जीवात्मा के जीवन के अन्त को कहते मृत्यु,
अपनों को खोने का डर, काँप उठती रूह सुनकर नाम मृत्यु….
ए चाँद! बेटी हूँ उस ‘शारदा माँ ‘ की जिसने नहीं होने दिया अपने देह को पंचत्तव में विलीन,
मोक्ष की प्राप्ति के लिए, मिट्टी में मिलने से तो अच्छा है, ‘देहदान’ करना,
ऐसी सोच रखने वाली जननी को शत शत नमन…..
माँ के इस ख्वाब को पूरा किया,उनके पिया ने,
साथ दिया मेरे पापा का,मेरे भाई-भाभी ने,
गर्व महसूस कर रहे पोता-पोती,अपने दादा पर…..
ए चाँद! शीश झुकाते है उस जननी के आगे,
जन्म दिया जिसने तुझे,
शीश झुकाती हूॕ अपने दादा के आगे,
जिन्होंने कहा हमेशा बेटा तुझे,
गर्व महसूस कर रहे,बुआ-ताऊ तुझ पर माँ…..
बेटी हूँ आपकी, लूँ आपकी कोख से हमेशा जन्म
पापा आप है अपने बेटे-बहू,बेटी-दामाद की ताकत…
ए चाँद! आई तेरी शरण में मेरी ‘शारदा माँ’ तेरी बगिया महकने,
आई तेरे पास एक पुण्य आत्मा करा देहदान उसने,
अपनी प्यारी बहना को बिठाना पलकों पर,
त्याग की मूरत,संस्कारों की देवी,
नांगिया परिवार की बहू रानी ”शारदा माँ’ को भावपूर्ण श्रद्धांजलि…