माँ वीणापाणी की स्तुति
सुन विनय ओ वीणा पाणी,अब अभय वरदान दो माँ।
आ गयी तेरी शरण ,बल, बिद्या, बुद्धि ,ज्ञान दो माँ।।
शीश चरणों में नबाऊं
द्वार पर तेरे मैं आऊँ।
चाह कुछ ज्यादा नहीं है
बस जरा सा ध्यान दो माँ।।
(अब इधर भी )
सुन विनय—–
सात स्वरों में समाए
वाणी में माधुर्य लाए।
जब दिये मां शब्द मुझको
लय ,सुरीली तान दो माँ।
सुन विनय—-
सिर पे हो माँ हाथ तेरा
हो सफल हर काज मेरा।
हम सभी वाणी पुत्रों को
इक नयी पहचान दो माँ।।
सुन विनय——
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा