*”माँ वसुंधरा “*
“माँ वसुंधरा”
हरी भरी वसुंधरा ,ये नीला नीला आसमां।
जिधर देखूँ उधर ही ,लगती है तू प्यारी माँ।
पुकार कर ये कह रही ,हाथ जोड़ कर खड़ी।
प्रदूषण को रोक लो ,नदियों को बचा लो तुम।
कुदरत का ये कहर है ……..! ! !
कुदरत का ये कहर है ……….! ! !
कोरोना की लहर है ,कोरोना का आतंक है।
कुदरत का ये कहर है।
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उजड़ रहा देखो चमन ,धरती और ये गगन।
वसुंधरा की पीड़ा हरो ,कुदरत को तुम संवार दो।
जरा समझ से काम लो ,संकल्प बार बार लो तुम।
ना काटो पेड़ पौधों को ,नये पौधे लगा दो तुम।
कुदरत का ये कहर है ….! ! !
कुदरत का ये असर है …..! ! !
कोरोना की लहर है ….कोरोना का आतंक है..
कुदरत का ये कहर है ………! ! !
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कुदरत की वादियों को ,आंखों से तुम निहार लो।
कुदरत ने जो दिया है,उसको तुम सम्हाल लो।
वसुंधरा तुम्हें पुकारती ,एक बार सुन लो तुम।
अपने तो हाथ एक है ,हजार हाथों से संवार दो।
कुदरत का ये कहर है …..! ! !
कुदरत का ये कहर है……! ! !
कोरोना की लहर है …..कोरोना का आतंक है ….! ! !
कुदरत का ये कहर है …..! ! !
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कुदरत के सौंदर्य छबि को आंखों में उतार लो।
पर्यावरण का कर श्रृंगार ,धरा को तुम संवार लो।
उपवन में खिले हैं पुष्प ,उसे जीवनदान दे महका लो।
पृथ्वी को बचा लो तुम ,स्वर्ग सा तुम बना लो।
कुदरत का ये कहर है …..! ! !
कुदरत का ये असर है …..! ! !
कोरोना का कहर है …..! ! !
कोरोना का आतंक है ….! ! !
कुदरत का ये कहर है ………..! ! !
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कृपया पेड़ पौधे लगाएं जन्मदिन पर एक पौधा जरूर लगाएं अपने जीवन में खुशहाली पाएं।
शशिकला व्यास✍