माँ ये उमर तुम्हें लग जाए
मेरी उमर तुम्हें लग जाए
माँ ये उमर तुम्हें लग जाए
लोरी गाती, थपकी देती
आँचल में माँ मुझे सुलाए
जन्म दिया, धरती पे लाई
छाती से माँ मुझे लगाई
सदा हंसाए, सदा दुलारे
कान्हा जैसे मुझे सँवारे
जिसकी प्यारी मीठी – मीठी
बातों से ही मन भर जाए
थम जाती हैं साँसें जिसकी
मुझको गिरता देखकर
खिल जाता है चेहरा जिसका
मुझको उठता देखकर
गिरना उठना और सम्हलना
माँ मुझको चलना सिखलाए
लड़ जाती है मेरी खातिर
जो बेदर्द – जमाने से
अब तक फ़िक्र करे माँ मेरी
इक बच्चे – अन्जाने से
मुझको थोड़ी चोट लगे जो
आँखों में आँसू आ जाए
मेरी उमर तुम्हें लग जाए
माँ ये उमर तुम्हें लग जाए
लोरी गाती, थपकी देती
आँचल में माँ मुझे सुलाए
नीलेन्द्र कुमार शुक्ला