माँ यशोदा
अवध की तू ही शान,
दशरथ रखे मान,
बन मैया राम की तू,
फिर अब आओ ना।
घर घर फूट भारी,
मंथरा ने मति मारी,
राम राज त्याग पाठ,
जग को सिखाओ ना।
संस्कृति अब रो रही,
पश्चिमी बीज बो रही,
आदर्श मर्यादा वाली,
सीता बहु लाओ ना।
धर्म में है धंधा बड़ा,
सत्य गले फंदा पड़ा,
जाल फैले मारीचों के,
राम को बताओ ना।
छल बल छाया हुआ,
धरा से गगन छुआ,
वेषधारी रावणों से,
सीता को बचाओ ना।
पाप ताप रहा बढ़ा,
काल मुँह खोले खड़ा,
पून्य धरा लावे फिर,
राम जनमावो ना।
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आशिक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.