माँ मैं धन्य हो गया..
माँ मैं धन्य हो गया…2
प्यार से लोरी सुनते-सुनते…..माँ मैं धन्य हो गया…।
मैं तेरे आँचल में सोया..
मन में जब आया ख़ुशी हुआ ।
मन में जब आया ख़ूब रोया,
न मैंने कष्ट कभी झेला तब रहा तेरा सहारा …।
माँ मैं धन्य हो गया …
वो थपकी तेरे हाथों की ,
तेरी आहट मेरे पास आने की ।
बदन में जब आती थी ऊर्जा ,
प्यार से तूने हाथ से सहलाया …
माँ मैं धन्य हो गया …
न जब थी खाने की चिन्ता,
न चिन्ता थी मुझे सँवरने की ।
सुबह से संध्या तक मेरी,
हिफ़ाजत तेरे आँचल के सहारे थी ।।
माँ मैं धन्य हो गया….
आज मैं हो गया बड़ा,
न मिलती मुझे तेरे आँचल की हवा ।
रहता हूँ बेचैन हर समय,
पाने को तेरे प्यार भरे दो बोल ।।
माँ मैं धन्य हो गया……
मुझे आज है बस तेरी ज़रूरत,
तेरी प्यारी सी डाँट-डपट की सूरत ।
मैं तुझे भूल गया क्यूँ माँ,
बना कैसा मैं इतना बेपरवाह ।।
माँ मैं धन्य हो गया ….
“आघात” की इच्छा है आख़िरी,
माँ के आँचल में दम निकले ।
न हो क़भी अनजाने से भूल,
साँस जब तक शरीर में हो , बस माँ का नाम हो ।।
माँ मैं धन्य हो गया….
प्यार से लोरी सुनते -सुनते ।।
आर एस बौद्ध “आघात”
8475001921