Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Nov 2018 · 1 min read

माँ मेरी देवी नहीं

माँ मेरी देवी नहीं – हार मांस की नारी है,
ये अलग बात है ,
वो जग से अलग – थोड़ी सी न्यारी है !

नास्तिक नहीं वो – फिर भी कर्म को ऊपर रखती है ,
रिश्तों में प्रेम प्रीत को – धर्म के ऊपर रखती है !

संघर्ष दिया जीवन ने उसको – हँस के सामना करती है ,
अपनों के सुख के खातिर – निज त्याग तपस्या करती है !

नल की दमयन्ती हो जैसे, हरिश्चंद्र की शैव्या जैसे ,
मोहन की नीलम बन – हँस के संघर्ष से खेला करती है !

उर में बहती प्रेम की गंगा, पर पाषाण बतलाती है
अपनी संतति को भी, हिय खोल नहीं दिखलाती है !

प्रेम-प्रीत चिल्लाने पे, बढ़-बढ़ हिय लगाने पे
झूठी आश जगाने पे, विस्वाश नही वो करती है !

कुम्हार कब माटी को, पुचकारता और सहलाता है
कूट-पीट के ही उसको, सुन्दर-सुघड़ बनता है !

ममता बांदी नही दिखावे की, चुपके से प्यार छलकती है
सूर्य किरण है – सौ पर्दों में भी, आभा अपनी बिखराती है !

मेरे बदन के हर कोने में जो, रज़ बन के इठलाती है
माँ है मेरी जो – जग से अलग, अजब, निराली है !

***
1 /11 /2018
[ मुग्धा सिद्धार्थ ]
भिलाई ( छत्तीसगढ़ )

Language: Hindi
23 Likes · 2 Comments · 520 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
Mahender Singh
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
गुरु हो साथ तो मंजिल अधूरा हो नही सकता
Diwakar Mahto
शिक्षा और अबूजा
शिक्षा और अबूजा
Shashi Mahajan
खुशियाँ हल्की होती हैं,
खुशियाँ हल्की होती हैं,
Meera Thakur
निर्वात का साथी🙏
निर्वात का साथी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"डोजर" के चेप्टर पर तो "क्लोजर" लगा दिया हुजूर!अब "गुल" खिला
*प्रणय*
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
भूल जाती हूँ खुद को! जब तुम...
शिवम "सहज"
Our ability to stay focused on the intellectual or creative
Our ability to stay focused on the intellectual or creative
पूर्वार्थ
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
बड़े मासूम सवाल होते हैं तेरे
©️ दामिनी नारायण सिंह
ग़ज़ल --
ग़ज़ल --
Seema Garg
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल में
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल में
shabina. Naaz
इश्क का कमाल है, दिल बेहाल है,
इश्क का कमाल है, दिल बेहाल है,
Rituraj shivem verma
*** एक दौर....!!! ***
*** एक दौर....!!! ***
VEDANTA PATEL
क्या लिखूँ
क्या लिखूँ
Dr. Rajeev Jain
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
अच्छा बोलने से अगर अच्छा होता,
Manoj Mahato
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
Ajit Kumar "Karn"
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
मेरी बेटी बड़ी हो गई,
मेरी बेटी बड़ी हो गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुकाम
मुकाम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मौहब्बत जो चुपके से दिलों पर राज़ करती है ।
मौहब्बत जो चुपके से दिलों पर राज़ करती है ।
Phool gufran
सैलाब .....
सैलाब .....
sushil sarna
"जीवन का निचोड़"
Dr. Kishan tandon kranti
*अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें* (कुंडलिया)
*अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
ञ'पर क्या लिखूं
ञ'पर क्या लिखूं
Satish Srijan
विजेता सूची- “संवेदना” – काव्य प्रतियोगिता
विजेता सूची- “संवेदना” – काव्य प्रतियोगिता
Sahityapedia
मेरी पुरानी कविता
मेरी पुरानी कविता
Surinder blackpen
कहा कृष्ण ने -
कहा कृष्ण ने -
महेश चन्द्र त्रिपाठी
23/153.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/153.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अरुणोदय
अरुणोदय
Manju Singh
समरसता की दृष्टि रखिए
समरसता की दृष्टि रखिए
Dinesh Kumar Gangwar
Loading...