*माँ मेरा अधिकार है*
माँ मेरा अधिकार
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आँचल में ममता का सागर,
छलके वात्सल्य की गागर,
गोदी में बैकुंठ बसा है,माँ तू सीताराम है ।
तू ही मेरी राधारानी, तू ही माँ घनश्याम है ।।
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तेरी डाली पर मैं उगकर इठलाया हूँ फूल बना ,
जिस तन से सुख भोग रहा वह, तू ने पाकर कष्ट जना,
तेरे पावन चरणों में ही ,माँ मेरा सुखधाम है।
तू ही मेरी राधा रानी , तू ही माँ घनश्याम है ।।
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जिस धरती पर जन्म मिला, वह तेरा ही तो रूप है,
गंगा गौ भाषा में बसता, तेरा मात स्वरूप है,
आई मैया जननी जाया, शत-शत तुझे प्रणाम है ।
तू ही मेरी राधा रानी, तू ही माँ घनश्याम है ।।
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पावन गंगा की धारा सा, निर्मल तेरा प्यार है,
इस अमृत को अविरल पाना, माँ मेरा अधिकार है,
तू ही भोर सुनहरी मेरी, सुरमई जैसी शाम है ।
तू ही मेरी राधा रानी, तू ही माँ घनश्याम है ।।
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तन भी तेरा धन भी तेरा, भोला मन भी तेरा है,
सब कुछ तुझको करूँ समर्पित, माँ जो कुछ भी मेरा है,
कर्ज न चुक पायेगा तेरा, चाहे दे दूँ चाम है ।
तू ही मेरी राधारानी , तू ही माँ घनश्याम है ।।
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-महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा ।
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