माँ महागौरी है नमन
मातु महागौरी नमन,दिवस अष्टमी आज।
स्वीकारो मम भक्ति को,जैसा भी है साज।।
भाव पुष्प स्वीकार कर, चखिए पावन भोग।
दया दृष्टि ऐसी रखो,शुभता से हो योग।।
धर्म कर्म में मन लगे,मधुरिम हो व्यवहार।
निशिदिन मेरे हाथ से,हो कुछ तो उपकार।।
सकल सृष्टि हर्षित रहे,बहे प्रेम की धार।
मानवता के मर्म को,समझे यह संसार।।
समुचित माया रख मनुज,करे ईष्ट की भक्ति।
उचित ज्ञान सबको मिले,बढ़े सत्य की शक्ति।।
मानव जीवन में बहे,सत्य शान्ति की धार।
उचित कर्म करके सभी, पाएँ माँ का प्यार।।
द्वेष दर्प उर से मिटे,काया रहे निरोग।
कृपा मातु की यूँ रहे, सुफलित हो उद्योग।।
जीवन के हर मोड़ में, रहो मातु तुम साथ।
सत्य कर्म करता चलूँ ,लगे सफलता हाथ।।
विनती करता ओम कवि, रखो मातु तुम मान।
जगहित के हों कर्म सब,ऐसा बने विधान
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
नगर