माँ (मदर्स डे पर)
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आम आदमी या ईश्वर अवतार,
माँ के दूध का सब कर्जदार।
माँ के छाती से निकला दूध,
जीवनदायिनी अमृत की बूँद।
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माँ जीवन की शुरुआत पहली,
माँ ही अन्तिम शरण स्थली।
प्रथम प्यार,अहसास पहली,
माँ पीड़ा का अल्फाज पहली।
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माँ जीवन का प्रथम अध्यापक,
माँ सुख दुःख में सदा सहायक।
माँ प्रथम मित्र,ज्ञान का दीपक,
माँ कठिन राह का पथ प्रकाशक।
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माँ शब्द है सबसे प्यारा,
माँ में पूरा ब्रह्माण्ड समाया।
माँ शब्द स्वयं में पूर्णता,
माँ शब्द में शीतल पवित्रता।
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माँ शब्द बीज सा छोटा,
बरगद की तरह विशाल।
माँ शब्द सबसे सुखद,
हृदयस्पर्शी,कवच व ढाल।
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ईश्वर हर जगह पहुंच नहीं पाया,
इसलिए उसने माँ को बनाया।
स्वयं भी मातृत्व सुख को पाने,
बच्चा बन माँ के गोद में आया।
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माँ से जीवन ही नहीं साँसों का नाता,
गर्भ में ही जीवन डोर बँध जाता।
माँ-बच्चो में खास बंधन होता,
जो जीवन प्रयत्न कभी खत्म नहीं होता।
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माँ का कोख है एक देवालय,
जिसमें शिशु बढ़ता है निर्भय।
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माँ का आँचल सुरक्षित ममत्व भरा,
माँ अंक में बचपन निश्चिंत हुआ बड़ा।
प्रेम,दया व वात्सल्य से भरा,
माँ का दिल है बहुत बड़ा।
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माँ ब्रह्मा, विष्णु और महेश,
माँ में तीनों लोकों का समावेश।
माँ देवतुल्य,अति बहुमूल्य,
माँ का आज्ञाकारी प्रथम पूज्य गणेश।
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माँ त्याग तपस्या की पराकाष्ठा,
प्रकृति सी माँ में सहनशीलता।
माँ के लिए सबकुछ है बच्चा,
माँ का प्यार है निस्वार्थ सच्चा।
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माँ होती ईश्वर का वरदान,
माँ चलता फिरता भगवान।
माँ करती सबकुछ बलिदान,
माँ हर समस्या का समाधान।
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माँ कर्तव्य की एक प्रतिमा,
माँ की ममता की कोई ना सीमा।
माँ के पास निस्वार्थ आत्मा,
माँ होती बिल्कुल परमात्मा।
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माँ की क्रोध में भी करूणा,
माँ की मौन में भी ममता।
हर माँ होती जगदम्बा,
बच्चों के नींव का खम्भा।
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माँ अनोखा, सुख, संतुष्टि और तृप्ति,
अपना हर सुख-शांति,प्रेम वात्सल्य लुटाती।
माँ देव दुर्लभ आशीर्वाद का कवच पहनाती,
कोई भी संकट जिसे भेद नहीं पाती।
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माँ ज्ञान का असीम भंडार,
माँ में होता अनोखा चमत्कार।
माँ सृजन, माँ ही उद्धार,
माँ होती मुक्ति का द्वार।
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माँ चरणों में काशी और प्रयाग,
माँ का कभी ना करना त्याग।
????-लक्ष्मी सिंह ??