माँ भारती
माँ भारती
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मन में ममता नेह नयन में, मुख की आभा भोली ।
केशरिया चूनर के सँग में, श्वेत दमकती चोली ।।
हरी घघरिया निरखूँ तो मन, अनुपम सुख है पाता ।
लिये तिरंगा हाथ खड़ी है , मेरी भारत माता ।।
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चक्र प्रगति का चले निरंतर, नील वर्ण सुखदाई ।
खुद बहार मैया के आँगन, ज्यों चलकर हो आई ।।
रक्त शहीदों का महकाये, माँ का हर गलियारा ।
देश मुझे लगता है मेरा, सारे जग से न्यारा ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।