माँ भारती
माँ भारती की माटी, जग में है पूजी जाती,
यही माटी है पूजा, वीरों की है थाती।
मेरे वतन में प्रभु भी, जन्में हैं ज्ञान लेकर,
हैं दिशाएँ चारो मेरी, मर्यादा गीत सेकर।
मेरे वतन की सरिता, है ममता को बहती,
यही माटी है पूजा……………………..।
शिवा व लक्ष्मीबाई , प्रजाहित में ही लड़े थे,
स्वाभिमान की वजह से, राणा जी अड़े थे।
सतीत्व के खातिर, माताएं लहू बहाती,
यह माटी है पूजा …………………….।
यहाँ कृष्ण बुध का, अवतरण हुआ है,
सागर भी भारत माँ के, चरण को छुआ है।
पुरुवा व पछुवा नित, खुशियों के गीत गाती,
यही माटी है पूजा……………………..।
भारत की ज्ञान गंगा , निर्मल करे सबको,
नित आस्था में झूमे, पूजे सभी रब को।
ऋषि मुनियों की है वाणी, अमृत ही गिराती,
यही माटी है पूजा……………………।
वेदों से ज्ञान लेकर, दुनिया करे विकास,
मेरे योग की क्षमता , नहीं है किसी के पास।
जीने की कला मेरी, जग को भी है भाती,
यही माटी है पूजा है, वीरों की है थाती
माँ भारती की माटी, जग में है पूजी जाती,
यही माटी है पूजा…………………….।
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अशोक शर्मा, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश