माँ भारती की पुकार
उठो वीर जागो सुनो,माँ की करुण पुकार।
तड़प-तड़प माँ भारती,तुम से करे गुहार।।
अब रणभेरी बज उठी,चिर निन्द्रा को त्याग।
माँ की पीड़ा बढ़ रही,देशभक्त अब जाग।।
उठो त्याग आलस्य को,खुदगर्जी को छोड़।
रिपु की ताकत बढ़ रही,दो झट गला मरोड़।।
समर शंख भी बज उठा,किया सूर्य जयघोष।
माँ को मरता देख कर,क्यों बैठे खामोश।।
करो दुश्मनों का दमन,रग में भर कर जोश।
शत्रु बहुत चालाक है,रखो साथ में होश।।
हिमगिरि आहत हुआ,भरो वीर हुंकार।
लहुमय जीवन ढो रहा,करो जल्द उपचार।।
कमर कसो आगे बढो, हो जाओ तैयार।
विद्रोह ज्वाला उठ रही,करो तेज तलवार।।
हे! सैन्य शूर साहसी,अब तो करो प्रहार।
वीर प्रवीर जयी बनो, बैरी दल को मार।।
तेरे ऊपर है बहुत, मातृभूमि का कर्ज।
उठा कदम आगे बढ़ो,और निभाओ फर्ज।।
-लक्ष्मी सिंह