“माँ बेटी संवाद चार वर्षीय बेटी के साथ”
“संवाद”
बेटीः उदास क्यूँ हो क्या हुआ ?
तुम देर से क्यूँ आयी ? स्नुर (सहेली) पहले चली गयी
माँः …सॉरी…बारिश हो रही है..न…बेटा..तो ममा धीरेधीरे आ रही थी; तुम्हें पता है…न…गीर जाती है ममा…बार बार
बेटीः हा हा हा पर तुम्हें संभलकर चलना चाहिये ममी..तुम मेरा छोटु छाता भी लाई हो..?
माँः हाँ,
बेटीः अले,ममी ये देखो सड़क तो नदी बन गई
माँः पर प्लीज साइड (किनारे) से चलना
बेटीः नहीं ममी जब सड़क पर नदी है तो नदी से ही जाना चाहिये.. देखो छपछप..आवाज़ आई…न
माँः क्या कर रही हो ऑसम ! जुता भिंग गया पूरा बेटा
बेटीः It’s ok (कोई बात नहीं) कल तक सुख जाएंगे ममी, कितना मजा आ रहा है…न
माँः पर रोड पर नहीं बेटा…ये गटर का पानी है
बेटीः ममी तुम हमेशा भुल जाती हो..ये बारिश का पानी है…ममी तुम्हें एक बात पता है
माः क्या
बेटीः मुझे बारिश बहुत पसंद है और जुग्गा को भी जूही को भी और मीठु को भी..(माँसिया)…मम्मी क्या तुम्हें भी पसंद है
माँः ?
बेटीः बोलो न
माँः हाँ,
बेटीः फिर तुमने बारिश ☔ के पानी को गटर का पानी क्यूँ बोला
माँः गलती हो गई ऑसम! हो जाती है…न…कभीकभी
बेटीः हाँ,पर तुमने क्यूँ बोला…??
“संवाद चार वर्षीय बेटी के साथ”
चेहरे पर बारिश की स्माइल ने घर तो पहुँचा दिया आज पर कल सुबह शायद बिना जूते स्कूल या बंक भी मारा जा सकता है पर परसों की डायरी में कारण क्या लिखा जाएगा
सुबह की सुबह देखेंगे…मेरा दर्शन
©दामिनी