माँ बनकर मैं खुद को जानी
माँ बनकर
मैं खुद को जानी,
माँ का पूरा
रूप पहचानी।
ईश्वर से
पाकर दो बेटी,
बचपन जी रही हूँ,
मैं फिर से अपनी।
कुछ अधूरे
सपने थे अपनी,
बेटी के माध्यम से
हो रही है पूरी।
-लक्ष्मी सिंह
माँ बनकर
मैं खुद को जानी,
माँ का पूरा
रूप पहचानी।
ईश्वर से
पाकर दो बेटी,
बचपन जी रही हूँ,
मैं फिर से अपनी।
कुछ अधूरे
सपने थे अपनी,
बेटी के माध्यम से
हो रही है पूरी।
-लक्ष्मी सिंह