माँ पिता ही अवतार हैं
माँ की ममता ,पिता की साया ,
दोनों बिन जीवन किसने पाया ।
माँ का आँचल जैसे, गगन में तारे,
पिता का हाथ जैसे जीवन का साथ ।
माँ की रसोई ,तुम बिन ना कोई ।
पिता की लाठी ,जैसे काँटो को छाटी ।
माँ,पिता का पालन,जैसे विश्व में खेलन।
माँ भारती हैं, तो पिता सारथी ,
पिता की सिख से ,जीवन में गति ।
पिता सूरज तो ,माँ चाँद है ,
पिता बिन न होवे ,घर में साँझ हैं ।
माँ संस्कार हैं ,तो पिता संसार हैं ।
घर को सहारा दे, बस माँ-पिता ही अवतार हैं ।
बस कोई और नहीं, माँ-पिता ही अवतार हैं ।
राहुल गनवीर