माँ नर्मदा
.है रेवा माँ नर्मदा,रखियो मोरी लाज।
अर्पित है तन मन तुम्हें,सदा बनाजो काज।।
हर कंकर बना शंकर,भज ॐ नमो शिवाय।
स्नान ध्यान मैं करूँ,फिर लूं शीश नवाय।।
निशि दिन गाऊँ आरती ,लेकर हलवा भोग,
सुखी रहे परिवार भी,काया रहे निरोग ।
माता नर्मदा सुन ले ,मेरी करुण पुकार।
बेटे को आवाज दे, मान लू उपकार।।
नाभिकुण्ड दर्शन करुँ,दे मुझे आशीष।
छत्रछाया तेरी रहे,नमाऊं नित शीश।।
कल कल बहता ये नीर,किसानों को हर्षाय।
फसल उपजाए कर वो,सबका पेट भर जाय।।