माँ दुर्गा।
माता अपने भक्त को, रखना दिल के पास
हे जननी कात्यायनी, विनती करता दास ।
माता तेरे हाथ में, साँसों की है डोर
नौका बिन पतवार के, जाएगी किस ओर!
पूजा – अर्चा, आरती, निशि – दिन करूँ भवानी
हरो कष्ट, भय, त्रास माँ, तुम भव की कल्याणी ।
जिसके सर परमेश्वरी, तुम जो रख दे हाथ
चिंता फिर किस बात की, जग जो छोड़े साथ ।
पथ-पथ दानव दल खड़े, पग-पग पर संत्रास
अघ, अकर्म, अन्याय का, माता करतीं नाश ।
तुम पोषक माँ विश्व की, सारा जग है दास
तेरे बल, उपकार पर, टिकी धरा, आकाश ।
Anil Mishra Prahari