माँ तेरा आँचल
ऐ माँ तेरा आँचल,
याद नहीं बचपन में कितनी बार पकड़ा है,
रोते हुये खिंचा है,
हर बार ही तुमने मुझे प्यार से जकड़ा है,
अपनी ममता से सींचा है।
मेरे लिए तो यही देवभूमि हिमाचल,
ऐ माँ तेरा आँचल।
ऐ माँ तेरा आँचल।।
था मैं जिद्दी बहोत, करता था शरारतें,
दी हैं तकलीफें तुझे, जगायी हैं कई सारी रातें,
आज जब तुझे सोचता हूँ तो आँखें भर आती हैं,
तेरी आँचल की छांव में मुझे सारी खुशियाँ नज़र आती हैं,
तेरे आँचल में आकर के ही होती मेरी तकलीफें ओझल,
ऐ माँ तेरा आँचल है देवभूमि हिमाचल,
ऐ माँ तेरा आँचल।।
है दुनिया मेरी सिमटी हुयी माँ तेरे इस आँचल में,
जो अमृत तेरे दूध में माँ, है नहीं किसी गंगाजल में,
जो महिमा तेरे चरणों की, नहीं किसी विंध्याचल में,
बस यही कामना है मेरी माँ,
रहे सर पर मेरे तेरा हाथ हर पल,
ऐ माँ तेरा आँचल, है देवभूमि हिमाचल।
ऐ माँ तेरा आँचल।
ऐ माँ तेरा आँचल।।