माँ तुझे फिर से
माँ तुझे फिर से, मिलना चाहता हूँ
फिर से इक बार तेरे साथ, जीना चाहता हूँ
माँ तुझे फिर से…
वो ‘प’ से पापा सिखाना मुझको
वो पकड़ अंगुली चलाना मुझको
फिर उसी दौर से, गुजरना चाहता हूँ
माँ तुझे फिर से…
हो खुद भूखी, पर खिलाना मुझको
खुद गीले बिस्तर में, पर सूखे में सुलाना मुझको
फिर से उन बाहों में सिमटना चाहता हूँ
माँ तुझे फिर से…
वो बना बस्ता, ले जाना स्कूल
मेरे खयाल में, ना आलस ना भूल
फिर से उस राह में, ठहरना चाहता हूँ
माँ तुझे फिर से…
…भंडारी लोकेश