माँ ! तुझसे बस यहीं कहना चाहता हूँ।
एक बार फिर वो बचपन जीना चाहता हूँ,
तेरी गोद मे फिर खेलना चाहता हूँ,
तेरी लोरिया सुन सुकून से सोना चाहता हूँ,
तेरे बुलाते ही सब छोड़,
तेरे पास आने को दौड़ना चाहता हूँ,
तकलीफ़ दी है जमाने मुझें कितनी,
मैं सबकी शिकायतें तुझसे कहना चाहता हूँ,
थोड़ा थक गया हूँ माँ,
अब ये बात तुझसे कहना चाहता हूँ ।
तू मौन रह,
सब सुनती जाती है,
अपने कर्म बस करते जाती है,
दुःख में भी सुख की अनुभूति करती जाती है,
तुझे गले लगा अब,
तेरी सारी बातें सुनना चाहता हूँ,
माँ तेरी याद बहुत आती है,
बस तुझसे ये बात कहना चाहता हूँ ।
दीपक ‘पटेल’