*माँ जगत जननी*
माँ जगत जननी
छंद :- मनहरण घनाक्षरी
जगत के जननी को, सश्रद्ध नमन मेरा,
नमन स्वीकार करो, माँ त्रिशूलधारिणी।
हे त्रिशूलधारिणी माँ, तम से ग्रसित जग,
जग का कल्याण करो, माता जगतारिणी।
माता जगतारिणी हे,संकटों को दूर करो,
मंगल प्रकाश भरो, मैया हितकारिणी।
मैया हितकारिणी मैं, पूजन तुम्हारी करूं,
वेदना को दूर करो, वेदना निवारिणी।
वेदकांति भास्कर ‘वेदिका’
ग्राम – खरकेना (डभरा)
जिला – सक्ति