माँ चौपाल में
माँ चौपाल में
बालक नरेन्द्र बहुत शरारती था। उसकी शरारतों से परेशान उसकी माँ, उसे सबक सिखाने के लिए, पकड़ने का प्रयास करती।
वह भाग कर घर के नजदीक ही बनी, चौपाल में घुस जाता।
उसकी माँ के पैर चौपाल के पास जा कर ठिठक जाती।
वह महिलाओं पर थोंपी हुई परम्परा का पालन करती हुई। वहीं रुक जाती।
वह जानती है कि महिला को चौपाल में घुसने का अधिकार नहीं है।
बालक नरेन्द्र माँ की इस कमज़ोरी का खूब लाभ उठाता। माँ को खूब परेशान करता।
नरेंद्र की शैतान और माँ की परेशान बढ़ती ही जा रही थी।
उसकी शैतानियों से तंग आ कर, माँ ने शदियों पुरानी परम्परा को तोड़ दिया।
एक दिन अत्यधिक परेशान होकर, माँ चौपाल में घुस ही गई।
शैतान नरेन्द्र को पकड़ लिया। पकड़कर खूब सबक सिखाया।
अब नरेन्द्र ने शरारतों से तौबा कर ली। उसे पता है कि अब तो माँ चौपाल में भी घुस सकती है।
-विनोद सिल्ला