माँ की याद
तब तुम बहुत याद आती हो माँ,
जब सुबह से शाम तक काम करती हूँ मैं,
काम कर कर के थोड़ा थक जाती हूँ मैं
कब सुबह से रात होती है,
जान न पाती हूँ मैं
तब तुम बहुत याद आती हो माँ,
जब सबको गर्म गर्म रोटी खिलाती हूँ मैं,
अपने बाज़ू तो कभी हाथ जलाती हूँ मैं,
जब ख़ुद हमेशा ठंडा खाना खाती हूँ मैं,
तब तुम बहुत याद आती हो माँ,
जब कभी कोई बीमार पड़ जाए परिवार में,
एक पैर पर खड़ी हो जाती हूँ मैं,
पर मेरे बीमार पड़ने पर,
अकेली पड़ जाती हूँ मैं,
तब तुम बहुत याद आती हो माँ,
जब रात को सो जाते सब चादर तान के,
सब को उठ उठ कर कंबल ढंकाती हूँ मैं,
पर ख़ुद जब बिना चादर के ही सो जाती हूँ मैं,
तब तुम बहुत याद आती हो माँ,
जब ख़्याल रखते रखते सबका,
ख़ुद को भी भूल जाती हूँ मैं,
जब सबके होते हुए भी अकेली पड़ जाती हूँ मैं,
तब तुम बहुत याद आती हो माँ,
जब महसूस करती हूँ वो सारे दर्द,
जो तुमने भी कभी झेले होंगे,
जब तुम भी ससुराल आयीं होंगी माँ,
तब तुम बहुत याद आती हो माँ,
तब तुम बहुत याद आती हो माँ………..