@@@ माँ की याद @@@
लेकर आया हूँ में आज फिर
एक कविता ऐसी, जो न
कही कभी मैने, जो थी आज
तक मुझ से अनजानी
आज जन्म दिन की तारीख
याद है सब को , की कब में
पैदा हुआ था धरती पर,
आज शुभ विवाह की तारीख
याद है उनको, जिनकी शादी
हुई थी उस तारीख पर,
मरते की तारीख न कोई याद कर
सका, न कोई याद कर सकेगा
कब गुजर गया में यहाँ पर !!
क्या याद है वो दिन जब माँ ने तुझे दूध पिलाया था ?
क्या याद है वो दिन जब तुझे चलना सिखाया था ?
क्या याद है वो दिन तुझे रोने पर उस ने हसाया था ?
क्या याद है वो दिन जब सूखे में तुझे सुलाया था ?
तेरी इक आहट पर जाग उस की खुल जाती थी !
मेरा लल्ला भूखा है उठ कर तेरी भूख मिटाती थी
कहीं पेट दर्द तो नहीं झट पट जाकर हींग पिलाती थी !
तून चुप नहीं होता तो सारी रात झूला झुलाती थी !!
आज तून अपनी माँ का दर्द जान कर भी अनजान है !
न जाने तुझे अपनी किस बात का हो रहा गुमान है !!
रिश्ते तो दुनिया में न जाने कितने ,कितनो से बन जायेंगे
अगर माँ मर्म न समझा प्यारे,,,कभी सुखी नहीं रह पाओगे !!
आज तुझे अपना हर खर्चा अच्छा लगता है !
माँ का बुढ़ापा तुझे अनजाना सा लगता है !!
क्या खूब “अजीत” इस दुनिया का अंजाम है !
बेटा न कर सका कुछ , इसी लिए वो बदनाम है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ