***” माँ की महिमा का चमत्कार ‘***
।।ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
शीर्षक ;- ***” माँ की महिमा “***
समीर व सुमन के जीवन में कुछ न कुछ परेशानियाँ आती रहती है लेकिन सारे कष्टों का निवारण माँ विंधेश्वरी जी पूरा करती है सुमन के ससुराल पक्ष में बहुत बड़ा परिवार है सभी की देखभाल रिश्तेदारियों को निभाते हुए ख्याल रखती है ।समीर सरकारी स्कूल में शिक्षक है दो बच्चे हैं जो पढाई करते हैं, अपने घर के सामने ही गाड़ियों के उपकरणों व लकड़ी टॉल की दुकान खोली है ताकि खाली समय का उपयोग हो कभी समीर और कभी सुमन दोनों मिलकर दुकान में बैठते हैं।
समय चक्र का पहिया कब कैसा मोड़ ले लेता है पता नहीं चलता है बुरा वक्त बतला कर नही आता है।
समीर रात में खाना खाकर बाहर जरा सा टहलने निकला था सड़क के किनारे से एक बाईक वाले की गाड़ी असुंतलित हो समीर को ठोकर मारते हुए निकल गई समीर कुछ दूर जाकर गिर पड़ा और वही पत्थर से टकराकर सिर पर चोट लग गई खून बहने लगा वही पर बेहोश हो गया था बेटा कोचिंग क्लास से आ रहा था देखा पापा गिरे पड़े हैं और बेहोश हो गए हैं समीर को घर लेकर आये कुछ लोगों की मदद से वेन में शहर के अस्पताल में तुरन्त भर्ती कराया गया डॉक्टर ने कहा – सिर पर ज्यादा चोट लगने के कारण खून का थक्का जम गया है ऑपरेशन करना पड़ेगा ईलाज का खर्च भी कुछ ज्यादा होगा बतला दिया सुमन को अब समझ नही आ रहा था इतना पैसा कहां से आयेगा डॉक्टर से कुछ रिक्वेस्ट किया छोटे छोटे बच्चे हैं कुछ तो फ़ीस कम कीजिये परिवार में रिश्तेदारों ने मिलकर पैसों की बहुत मदद किया गया उस समय नवरात्रि पर्व चल रहा था ऑपरेशन थियेटर में समीर को ले जाते समय सुमन व दोनों बच्चों ने हाथ पकड़ कर कहा -” माँ विंधेश्वरी सब ठीक करेगी ”
.सुमन ने मन में माँ विंधेश्वरी देवी से प्रार्थना की * हे परमेश्वरी हमारी विपदा दूर करो मेरे सुहाग की रक्षा करना मेरे बच्चों पर कृपा बरसाये रखना ….अब माँ विंधेश्वरी आपके विश्वास के सहारे सभी कुछ छोड़ रही हूँ *
सुमन व दोनों बच्चे माँ का नाम जपते हुए कठिन परिस्थितियों में बीता रहे थे खाने पीने किसी चीज की इच्छा भी नही हो रही थी मन में एक ही विश्वास जगाये जब तक ऑपरेशन सफल नही हो कुछ दिनों बाद सुमन की फरियाद माँ विंधेश्वरी ने सुन ली समीर को होश आ गया और सुमन ने माँ के दरबार में सुहाग समान प्रसाद चढ़ाया माँ को प्रणाम करते हुए समीर के नये जीवनदान की कामना करते हुए ज्योत जलाई धीरे धीरे समीर की हालत सुधर गई अब वापस लौट कर कुछ दिनों बाद शहर में ही घर बनवा रहने लगा माँ विंधेश्वरी की कृपा से बेटी की शादी भी हो गई …
माँ की असीम कृपा से जीवन में नई शक्तियाँ उमंगों व उत्साह से भर देती है।
” समुद्री तूफानों की तरह से अचानक जब विपदाएँ आती है तो अंतर्मन से आवाज निकलती है “*मैं हूँ ना “* और माँ की शक्ति का चमत्कार हो जाता है दिव्य शक्ति का प्रभाव जीवन में नव संचार करता है और सारी परेशानियाँ कष्ट धीरे धीरे दूर होती चली जाती है ….! ! !
स्वरचित मौलिक रचना ??
***शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*