माँ की महानता
【 शीर्षक – ” माँ की महानता ” 】-
फ़क़त मेरे बारे में वो……. सोचती रहती है ।
ख़ामुशी उसकी बहुत कुछ बोलती रहती है ।।
न दिखाई दूँ ..इक पल के लिए जब उसको ।
घर के आँगन में वो मुझको ख़ोजती रहती है ।।
वो ” माँ ” है .. मेरे दर्द का अहसास है उसको ।
उतार कर नज़र मेरी मुश्किलें टालती रहती है ।।
उसके आँचल की छाँव में…….. मेहफ़ूज़ हूँ मैं ।
दूरी इक पल की उससे मुझे कचोटती रहती है ।।
” काज़ी “उसकी मुहब्बतों की कर्ज़दार है ज़िंदगी ।
बदल क्या दे सकूँगा हर साँस यही सोचती रहती है ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
©काज़ीकीक़लम
28/3/2 ,अहिल्या पल्टन ,इकबाल कालोनी ,इंदौर
जिला – इंदौर ,मध्यप्रदेश
#HappyMothersDay