माँ की दुआ [घनाक्षरी छंद ]
कृषक हरष जात खेत लहरातें देख ,
माँ हरष जात अपने पूत को निहार के ।
चातक हरष जात मिले जब स्वाति बूंद ,
माँ हरष जात निज पूत को जिवाय के ।
पिता हरष जात तनय सफलता देख ,
माँ हरष जात दुल्हन देहरी लाय के ।
कहत सकल देव माँ सा न दूजा देख ,
मेरा ह्रदय हरषे माँ की दुआ पाय के ।
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माँ की सीख से मानव पंडित प्रवीन होत ,
माँ की सीख से मानव कायर कपूत हैं ।
माँ की सीख से मानव बली और अली होत,
माँ की सीख से बनते राम व रहीम है ।
माँ की सीख से व्यापत नाहि जगत व्यसन,
माँ की सीख से बनते हीरा कोहिनूर है ।
कहत जगदाता जहाँ माँ से बड़ा न होत,
माँ की महिमा गाते पुराण व कुरान है ।
शेख जाफर खान