“माँ की छवि”
माँ मेरी ब्रह्मांण्ड हैं, माँ मेरी जहान हैं,
माँ ने मझको जन्म दिया,माँ मेरी महान हैं।
माँ सुख दुख सहकर,मुझको प्यार से पाली हैं,
माँ के जैसा कौन यहाँ, माँ की बात निराली हैं।
माँ कितना हिम्मत करती हैं,माँ मेरी तो धरती हैं,
सब कुछ हस कर सहती हैं,फिर भी वो चुप रहती हैं।
माँ की बोली मीठी हैं ,जैसे शहद की प्याली हैं,
माँ का मन चंदन सा हैं, स्नेह का अमृत बरसाती हैं।
माँ के आंचल का सुख हैं,आंगन वो महकाती हैं,
माँ ममता की सागर हैं ,करूणा की वो गागर हैं।
माँ का हृदय विशाल हैं,खुशियों की वो बगिया हैं,
माँ की एक मैं छवि हूं, जो उनके प्यार की दरिया हैं।
माँ मेरी तो वो दौलत हैं, जो मैं उनकी बदौलत हूं,
माँ तो मेरी अनंत रूपी, मैं भूल नही उनको सकती।
माँ मेरे हृदय तल पर एक तेरी मूरत है,
मेरे पूजा के मंदिर में माँ तेरी एक सूरत है।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️