माँ का सितारा
जब मैं गली मैं बैट से खेलता,
माँ मुझे, क्रिकेटर, समझ लेती,
जब मैं, घर, पढाई, सुनाता,
तो मुझे, हुशियार समझ लेती.
उनकी दुनिया का मैं,
इकलौता सितारा, होता था.
आज मैं, पढ लिखकर,
कुछ बन गया हूँ,
मगर, फिर भी कहीं,
गुम गया हूँ.
इतनी भीड़ है,
कितनी, प्रतिस्पर्धा है….
जीत कर भी हार गया हूँ.
कहाँ से मैं हिम्मत लाउं,
कैसे फिर उठकर आऊं,
फिर माँ के पास आ जाता हूँ,
एकबार, फिर,
उनकी दुनिया का सितारा बन जाता हूँ.