माँ का चूल्हा
जोड़ता है
चूल्हा
परिवार को
सुग॔ध
रोटी की
गोल गोल
रोटी
माँ का
प्यार
बैठे साथ
बाबू जी
भाई और बहन
करता सब की
चिंता
माँ का चूल्हा
है चौका सूना
चूल्हा बिना
हैं हम
भाग्यशाली
खाई हैं
चूल्हे की रोटी
मिला है
दादी माँ का
अपनापन
ममत्व
है अनमोल
चूल्हा
जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल