माँ का एहसास
कृपा तेरी है माँ ,
माँ मै सोया न अब तक,
नींद न आई मुझे वैसे,
बचपन में तू ने जब सुलाया,
गा गा कर मीठी-मीठी लोरी,
भुला अपने सारे दुःख को,
देख के मुख तेरा आँखों से,
आँखों में प्यार जो दिखता,
वैसा प्यार नहीं कहीं और जग में,
शरारतें भी तुझको लगती अच्छी,
कहती न कुछ सिर्फ ख्याल रखती,
एक-एक दृश्य इस जग का,
देखना मुझे तुम सिखाती,
जन्म से भी पहले माँ तुम,
एहसास मुझे तुम कराती,
छाँव में तेरे अब मैं आया,
सुकून से सुला दो माँ ,
गा दो लोरी वो फिर से,
खो जाऊँ सपनो की उस जहाँ में,
देख के तुम मुझे मुस्कुराती,
माँ तेरे प्यार के अटूट बंधन में बँध जाऊँ ।
रचनाकार ✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा ,
हमीरपुर।