माँ का आशीर्वाद
बेटा कब से आवाज दे रही हूँ कहाँ है ।”
कहते हुए रमादेवी , सुरेश के कमरे की तरफ गयी । वहाँ सुरेश गुमसुम सा बैठा था । रमादेवी को चिंता हुई हमेशा खुश रहने वाला चुप क्यो है ?
माँ जब ज्यादा जोर दिया वह बोला :
” माँ ! मेरे पिता जी नही है मुझे कौन पढाएगा ?”
रमादेवी ने कहा :
” बेटा ऐसा नहीँ है मैं हूँ ना , मैं मेहनत करके तूझे पढाऊगी तू तो पढाई पर ध्यान दे ।”
माँ की बातों से सुरेश के चेहरे की मुस्कान लौट आई ।