माँ कहाँ तुम चली गई
माँ कहाँ तुम चली गई
तुम बिन जीवन सूना है
अब थक जाती हूँ तो कोई नहीं कहता आराम कर ले
माँ कहाँ तुम चली गई
अब कोई नहीं कहता खाना खाया या नहीं
भूखी ही सो जाऊँ किसी को नहीं पता
माँ कहाँ तुम चली गई
माँ का आंचल कहाँ से लाऊं
जिसमें छुप जाया करती थी
सब गम भूल जाया करती थी
माँ कहाँ तुम चली गई
माँ तुम बिन कुछ नहीं मै
बस तुम्हारी छाया हूँ
माँ कहाँ तुम चली गई ।