Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2019 · 1 min read

माँ (कविता)

माँ तेरी वो थपकी लोरी , भूल नहीं क्यों पाती है ।
बचपन वाली प्यारी बोली,याद मुझे फिर आती है।।

मेरा बेटा राजा बेटा ,कहकर मुझे बुलाती थी।
मुझको सूखा बिस्तर देती,गीले में सो जाती थी ।।

जब जब मेरी नींद खुली, माँ को जगता पाता था।
हर क्षण तूने प्यार दिया ,कितना तुम्हें सताता था ।।

कितने मेरे नख़रे थे , सर में सहज उठाती थीं ।
चोट लगी गिर जाने से ,आँसू ख़ुद टपकाती थीं ।।

पर कितना बदकिस्मत हूँ ,माँ का साया छूट गया।
सच कहता है दोस्त’प्रखर’,अंदर से जो टूट गया ।।

कितने क़िस्मत वाले हैं वो,माता जिनके पास में है ।
चरणों में जन्नत होती है ,ख़ुद मेरे अहसास में है।।

चरण वंदना प्रस्तुत माँ को,सहज जगत् संसार करूँ।
बार बार माँ के दर्शन हो ,कष्टों का संहार करूँ ।।

-सत्येंद्र पटेल’प्रखर’

Language: Hindi
341 Views
Books from सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
View all

You may also like these posts

दरअसल बिहार की तमाम ट्रेनें पलायन एक्सप्रेस हैं। यह ट्रेनों
दरअसल बिहार की तमाम ट्रेनें पलायन एक्सप्रेस हैं। यह ट्रेनों
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
विकल्प
विकल्प
Khajan Singh Nain
शेर
शेर
*प्रणय*
- तेरे पायल की खनक -
- तेरे पायल की खनक -
bharat gehlot
चाँद ज़मी पर..
चाँद ज़मी पर..
हिमांशु Kulshrestha
"बचपन"
Dr. Kishan tandon kranti
मौन हूँ, अनभिज्ञ नही
मौन हूँ, अनभिज्ञ नही
संजय कुमार संजू
कविता
कविता
Rambali Mishra
बात चली है
बात चली है
Ashok deep
चांद देखा
चांद देखा
goutam shaw
*देकर ज्ञान गुरुजी हमको जीवन में तुम तार दो*
*देकर ज्ञान गुरुजी हमको जीवन में तुम तार दो*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बलिराजा
बलिराजा
Mukund Patil
भारत माता के सच्चे सपूत
भारत माता के सच्चे सपूत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धारा
धारा
Shyam Sundar Subramanian
चाहतें हैं
चाहतें हैं
surenderpal vaidya
लेखक होने का आदर्श यही होगा कि
लेखक होने का आदर्श यही होगा कि
Sonam Puneet Dubey
पाँव थक जाएं, हौसलों को न थकने देना
पाँव थक जाएं, हौसलों को न थकने देना
Shweta Soni
खुद को खुद से मिलाना है,
खुद को खुद से मिलाना है,
Bindesh kumar jha
कुछ मुक्तक
कुछ मुक्तक
Dr.Pratibha Prakash
राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय का इतिहास (संस्मरण /लेख)
राजकली देवी शैक्षिक पुस्तकालय का इतिहास (संस्मरण /लेख)
Ravi Prakash
राम की रीत निभालो तो फिर दिवाली है।
राम की रीत निभालो तो फिर दिवाली है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
औचित्य
औचित्य
Nitin Kulkarni
श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि
श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि
पूर्वार्थ
4659.*पूर्णिका*
4659.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
आर.एस. 'प्रीतम'
कितना प्यारा कितना पावन
कितना प्यारा कितना पावन
जगदीश लववंशी
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
शेखर सिंह
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
लोकतंत्र त्यौहार मतदान
लोकतंत्र त्यौहार मतदान
Seema gupta,Alwar
यार
यार
अखिलेश 'अखिल'
Loading...