Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

माँ और हम

माँ वो होती हैं जो जन्म देती हैं,
उंगली पकड़ हमारी पग -पग चलना सिखलाती हैं।
अपनी गोद में बैठकर प्यार भरा निवाला खिलाती है ।
हमारी आँखों में आँसू देख, खुद रोने लगे जाती है ।
गर ठोकर खाकर गिर जाए तो हौसले हमारे बढ़ती है ।
हमारी लड़खड़ाती जुबाँ , बिन कहे समझ जाती है ।
अपने से पहले हमारी थाल सजाती है ।
जब काम से थक कर वापिस आते हैं, तो वहीं सब ठीक होने का दिलासा देती हैं।
माँ ऐसी ही होती हैं……
पर क्या हम एक पल भी सोचते है ,
जो हमें उंगली पकड़ कर चलना सिखाती है ,
वहीं बुढ़ापे में हमारी उंगली पकड़ कर चलना चाहती हैं ,
और हम है कि बस अपनी ही धुन में रहते है ,
जो हमें याद रखती है पल -पल,
सुनती हमारे दिनभर के किस्से कहानियाँ ।
क्या नहीं निकाल सकते हम सब,
बस कुछ पल अपनी ज़िंदगी के उनके लिए ।
क्या इसके लिए चाहिए ‘मोदर्स दे’ ।
हर दिन तो होता है माँ का ।
आज अभी से सब से प्रण लो,
अपनी माँ को रोज समय दो ,
जितना उन्होंने दिया हमें हैं,
उसका एक अंश ही तुम बदले में दे पाओगें,
ज़िंदगी की राह में सर्वोच्च शीर्ष को छू पाओगे ।
गर माँ का साथ होगा बच्चे ,
जीवन में कभी न तन्हा होंगे ।
मीनू यादव

19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ज़िंदगी हो
ज़िंदगी हो
Dr fauzia Naseem shad
लाइब्रेरी की दीवारों में गूंजता जुनून,सपनों की उड़ान का है य
लाइब्रेरी की दीवारों में गूंजता जुनून,सपनों की उड़ान का है य
पूर्वार्थ
4) धन्य है सफर
4) धन्य है सफर
पूनम झा 'प्रथमा'
मौज-मस्ती
मौज-मस्ती
Vandna Thakur
ह्रदय
ह्रदय
Monika Verma
फितरत के रंग
फितरत के रंग
प्रदीप कुमार गुप्ता
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
Dear Cupid,
Dear Cupid,
Vedha Singh
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
*प्रणय प्रभात*
"दीप जले"
Shashi kala vyas
दाढ़ी-मूँछ धारी विशिष्ट देवता हैं विश्वकर्मा और ब्रह्मा
दाढ़ी-मूँछ धारी विशिष्ट देवता हैं विश्वकर्मा और ब्रह्मा
Dr MusafiR BaithA
3289.*पूर्णिका*
3289.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पूरी ज़वानी संघर्षों में ही गुजार दी मैंने,
पूरी ज़वानी संघर्षों में ही गुजार दी मैंने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भगवा रंग में रंगें सभी,
भगवा रंग में रंगें सभी,
Neelam Sharma
💪         नाम है भगत सिंह
💪 नाम है भगत सिंह
Sunny kumar kabira
वो जहां
वो जहां
हिमांशु Kulshrestha
एक नई उम्मीद
एक नई उम्मीद
Srishty Bansal
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
Surinder blackpen
राम जपन क्यों छोड़ दिया
राम जपन क्यों छोड़ दिया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*योग शब्द का अर्थ ध्यान में, निराकार को पाना ( गीत)*
*योग शब्द का अर्थ ध्यान में, निराकार को पाना ( गीत)*
Ravi Prakash
"गारा"
Dr. Kishan tandon kranti
"ख़ूबसूरत आँखे"
Ekta chitrangini
होली के दिन
होली के दिन
Ghanshyam Poddar
जिसके मन तृष्णा रहे, उपजे दुख सन्ताप।
जिसके मन तृष्णा रहे, उपजे दुख सन्ताप।
अभिनव अदम्य
ये न सोच के मुझे बस जरा -जरा पता है
ये न सोच के मुझे बस जरा -जरा पता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कोरोना काल मौत का द्वार
कोरोना काल मौत का द्वार
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हम हिंदुस्तानियों की पहचान है हिंदी।
हम हिंदुस्तानियों की पहचान है हिंदी।
Ujjwal kumar
मौसम बेईमान है – प्रेम रस
मौसम बेईमान है – प्रेम रस
Amit Pathak
‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे
‘ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘ अन्त तक आज़ाद रहे
कवि रमेशराज
Loading...