माँ आजा ना – आजा ना आंगन मेरी
लगता सूना – सूना आंगन, माँ बिन तेरे
आजा ना – आजा ना आंगन मेरे।
अंधेरा सा लगता है, माँ तेरे बिन इस जीवन में
मुझे अकेलापन लगता और डर लगता मेरे मन में
मै नादान हुँ बेटा तेरा, ज्योति जगा दे जीवन में
राह दिखा दे, ज्ञान की मैया, आकर तू मेरे मन में
व्याकुल बेटा, अब रहता है, हरदम – हरपल माँ बिन तेरे।
आजा ना आजा ना आंगन मेरे।।
भूल किया जो मैंने माँ, करदे सारे भूल क्षमा
एक विनती मेरी, तोसे मैया मेरी
बस एक बार माँ, आजा आंगन मेरी
गाते रहता “बसंत” माँ महिमा तेरी।
आजा ना आजा ना आंगन मेरे।।
✍️ बसंत भगवान राय
(धुन: यार बदल ना जाना मौसम की तरह)