माँ आई
शेर पे सवार माँ आई
नवरात्रि की सबको बधाई
सज गये सब घर और द्वारे
जय कारा दे माँ को पुकारे
माता के नौ रूप निराले
कितने पावन भोले भाले
शैल पुत्री प्रथम कहलाती
मनभावन सा रूप दिखलाती
दुसरी आई बह्मचारिणी
मंगलकारिणी दुख निवारिणी
चंद्रघंटा का रूप तीसरा
दुख पीड़ा को हर जन बिसरा
कुष्मांडा फिर चतुर्थ आई
कांतिमय आभा दिखलाई
पंचम स्कंदमाता कहलाती
कार्तिकेय संग पूजी जाती
छटे रूप में कात्यायनी तुम
जग जननी अधिष्ठात्री हो तुम
सप्तम रूप कालरात्री पाया
दर्शन पाकर मन हर्षाया
आठवी होती महागौरी
पूजे मिलकर सब नर नारी
नवम रूप में सिद्धिदात्री तुम ही
सुख समृद्धि की दात्री तुम ही
आओ ढोल नगाडा बजायें
मिलके सब नवरात्रि मनाये।