माँ अपनी जान
मुक्तक – माँ मेरी जान
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मैं अपनी माँ की चरणों में ,
सदा आशीष पाता हूँ।
हृदय के पास वह ही है ,
सदा मैं गुनगुनाता हूँ ।
कहीं जब दूर जाता हूँ,
फिकर वह खूब करती है ।
चला जिसकी पकड़ उँगली,
उन्हीं का मैं दुलारा हूँ।
तुम्हीं मूरत हो ममता की ,
तुम्हीं शुभ ज्ञान मेरी हो ।
लाडला हूँ तुम्हारा ही,
तुम्हीं अभिमान मेरी हो।
पुण्य आशीष से तेरी,
सदा ही मैं सुरक्षित हूँ।
कृपा करती हो नित मुझ पर,
तुम्हीं भगवान मेरी हो
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स्वरचित©®
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)
8120587822