Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jul 2018 · 1 min read

माँ?

चाहें कितनी भी दूर हो हम,साथ तेरा न छूटे माँ,
रिश्ता है ये दिल से दिल का,आस कभी न टूटे माँ,
मामृत्व का भंडार हो तुम,तेरी ममता कभी न रूठे माँ,
अपने सभी बच्चों को हरदम,समान भाव से देखे माँ,
बच्चे दौलत होते माँ की,दौलत में बच्चों को न तोले माँ,
दुनिया दे कितने भी आंसू, बच्चों को कभी न रुलाये माँ,
शूल बिछे हों पग पग पर,पर फूलों की राह बनाये माँ,
कितने भी हों जख्म हमारे,जख्मों पर मरहम लगाये माँ,
खुद भूखी रह जाए चाहें, बच्चों का पेट भराये माँ,
माँ के प्यारे से आँचल में,बच्चा चैन की नींद सो जाए माँ।।
By:Dr Swati Gupta

Language: Hindi
2 Likes · 205 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
Sandeep Kumar
सोने की चिड़िया
सोने की चिड़िया
Bodhisatva kastooriya
आंखों देखा सच
आंखों देखा सच
Shekhar Chandra Mitra
■ दरकार एक नई आचार संहिता की...
■ दरकार एक नई आचार संहिता की...
*Author प्रणय प्रभात*
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
Manisha Manjari
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
गीत// कितने महंगे बोल तुम्हारे !
Shiva Awasthi
- रिश्तों को में तोड़ चला -
- रिश्तों को में तोड़ चला -
bharat gehlot
ख़त्म होने जैसा
ख़त्म होने जैसा
Sangeeta Beniwal
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU
GOOD EVENING....…
GOOD EVENING....…
Neeraj Agarwal
Kathputali bana sansar
Kathputali bana sansar
Sakshi Tripathi
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मेला लगता तो है, मेल बढ़ाने के लिए,
मेला लगता तो है, मेल बढ़ाने के लिए,
Buddha Prakash
मायूसियों से निकलकर यूँ चलना होगा
मायूसियों से निकलकर यूँ चलना होगा
VINOD CHAUHAN
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
आकर्षण गति पकड़ता है और क्षण भर ठहरता है
शेखर सिंह
परिंदा हूं आसमां का
परिंदा हूं आसमां का
Praveen Sain
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
कविता : याद
कविता : याद
Rajesh Kumar Arjun
" वाई फाई में बसी सबकी जान "
Dr Meenu Poonia
देश भक्ति
देश भक्ति
Sidhartha Mishra
"ख़्वाहिश"
Dr. Kishan tandon kranti
उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
3361.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3361.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बदलता चेहरा
बदलता चेहरा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
आज कल के दौर के लोग किसी एक इंसान , परिवार या  रिश्ते को इतन
आज कल के दौर के लोग किसी एक इंसान , परिवार या रिश्ते को इतन
पूर्वार्थ
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
Swami Ganganiya
*भॅंवर के बीच में भी हम, प्रबल आशा सॅंजोए हैं (हिंदी गजल)*
*भॅंवर के बीच में भी हम, प्रबल आशा सॅंजोए हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
* वक्त  ही वक्त  तन में रक्त था *
* वक्त ही वक्त तन में रक्त था *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भौतिकता
भौतिकता
लक्ष्मी सिंह
Loading...