“माँं”
ममता को शब्दों में बाँधने की चुनौती है आज,
कहते है वो “माँ”पर लिखो, कम शब्दों में लिखो।
क्या लिखूँ? समझ नही पा रही,
ममता से भरी तेरी छवि को “माँ”,
कागज पर उकेर नही पा रही,
जिसकी थाह नही, वो अथाह ममता कैसे दर्शाऊँ,?
तेरी लोरियाँ क्या मैं “माँ” इन्हें गाकर सुनाऊँ?
बरसों बाद मैं भी एक माँ हूँ “माँ” मगर,
जब भी तकलिफ होती है ना “माँ”,तेरी गोद याद आती है मुझको,
तेरे स्पर्श की कमी अब भी रुला जाती है मुझको,
कहते है वो “माँ” पर लिखो,कम शब्दों में लिखों।
असंख्य शब्दों के सागर में विचारों के दूत भेजे थे मैंने,
वो खाली हाथ लौट आये है,जवाबों के बदले सवालों की गठरी उठा लाये है वो, कहते है तेरे भावों को जो दर्शा जाय,
वो शब्द आज तक बना ही नही “माँ”,
पंक्तियों में तू सिमट सकती नही “माँ”,
और,
कहते है वो “माँ” पर लिखो, कम शब्दों में लिखो।
#सरितासृजना
नाम- सरिता पांडे
शहर-मुबंई