माँँ कात्यायनी
?शहर—- मुसहरवा (मंशानगर)पश्चिमी चम्पारण, बिहार
?विधा—- छंद मुक्त
?विषय— माँ कात्यायनी (षष्ठ स्वरूप)
?रचना—-
ऋषि कात्यायन के घर जन्मी, महिषासुर संहार किया।
दुष्ट दलन कर मातु चण्डिका, इस जग का उद्धार किया।।
आदिशक्ति माँ अम्ब भवानी, वर देती माँ जगदम्बे।
वर स्वरूप कात्यायन पुत्री, बन आई तू हे! अम्बे।
मोक्षदायिनी, पाप विनाशन, धर्म युक्त व्यवहार किया।
दुष्ट – दलन कर मातु चण्डिका, इस जग का उद्धार किया।।
कान्तिमान है रूप तुम्हारा, फल अमोघ देने वाली।
चतुर्भुजी माँ सिंह वाहिनी, करती सबकी रखवाली।।
महिषासुर को मार दिया माँ, देवों पर उपकार किया।
दुष्ट- दलन कर मातु चण्डिका, इस जग का उद्धार किया।।
एक हस्त कृपाण हरे माँ, दूजी वरमुद्रा धारी।
मातच ईश्वरी दर्शन दो माँ, सदा रहूं मैं बलिहारी।।
यथाशक्ति अपने आलय में, माँ तेरा सत्कार किया।
दुष्ट- दलन कर मातु चण्डिका, इस जग का उद्धार किया।।
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#घोषणा
मैं [पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’] यह घोषणा करता हूँ कि मेरे द्वारा प्रेषित रचना मौलिक एवं स्वरचित है।
[पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’]
स्थान:- दिल्ली