#गीत//महफ़िल-महफ़िल तेरी यादें
सरग़म-सी घुलके साँसों में ,
मीठे गीत बनाती हो।
मेरे नयनों के अंबर में ,
बन चाँद मुस्कुराती हो।।
महफ़िल-महफ़िल तेरी यादें ,
ग़ज़लों में बस जाती हो।
बिन सोचे ये हाल हुआ है ,
होठों पर आ जाती हो।
साथ चलो तुम परछाई-सी ,
कैसा अपना रिश्ता है।
भाव-प्रसूनों के खिलते ही ,
तुम ख़ुशबू बन जाती हो।
जीवन में अहसास नया-सा ,
तुमसे मिलकर पाया है।
क्या होता है ये अपनापन ,
तूने मुझे सिखाया है।
धूप लगे तो छाया बनती ,
जल बन प्यास बुझाती हो।
सुख दुख में तुम साथी बनके ,
प्यार सिखाए जाती हो।
सागर-सी गहरी आँखों में ,
उल्फ़त के लेकर मोती।
माला-सा जीवन करती हो ,
ख़ुशियाँ आँगन में बोती।
हर उलझन सुलझाती मेरी ,
ग़म को दूर भगाती हो।
ऊँचे नेक विचारों से तुम ,
मन में जोश जगाती हो।
#आर.एस.’प्रीतम’