महोब्बत…………….. हो गयी है |गीत| “मनोज कुमार”
महोब्बत हो गयी है हो गयी है हो गयी है
कसम से यार जानेमन महोब्बत हो गयी है
तुम्हीं से यार बेइन्तहा महोब्बत हो गयी है
महोब्बत हो गयी है हो गयी है हो गयी है
महोब्बत…………………………………………… हो गयी है
सनम बारिश की वो बूँदें जो तेरे गाल छूती हैं
मेरा वो दिल जलाती हैं मुझे पागल समझती हैं
माना आवारा हूँ लेकिन तेरे हूँ प्यार का मारा
मुद्दतों से नही सोया तेरे हर ख्वाब में जागा
हवा बहने लगी है प्यार की कली खिल गयी है
फलक को फिर जमीं से अब महोब्बत हो गयी है
महोब्बत…………………………………………… हो गयी है
मुझे जुल्फों के साये में छुपा ले धूप से कोई
मुझे बैचेन करती है नजर मदहोश सी वो ही
बड़ा व्याकुल है दिल मेरा अभी बाँहों में आ जाओ
मीठी सी प्रेम की बातें मेरे कानो में कह जाओ
जरा तुम उनसे मिलने दो शरारत हो गयी है
अभी तुम वक्त ठहर जाओ महोब्बत हो गयी है
महोब्बत…………………………………………… हो गयी है
झिझक तुम छोड़ दो सारी अभी इजहार तुम कर दो
कहीं फिर देर ना हो तुम सभी तकरार को तज दो
अभी है प्यार का मौसम यही उमर है प्यार की
क बन्धन टूट जायेंगे चलो तो राह प्यार की
तेरी जालिम अदाओं से खता अब हो गयी है
छुपो ना अजनबी बनके महोब्बत हो गयी है
“मनोज कुमार”