महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
ज़रूरत और ख़्वाहिश आज फिर आपस में झगड़ेंगे
जॉनी अहमद क़ैस
महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
ज़रूरत और ख़्वाहिश आज फिर आपस में झगड़ेंगे
जॉनी अहमद क़ैस