महाशिवरात्रि
अति शुभ मंगलमय दिवस,आज महाशिव रात।
शिव शंकर दुल्हा बने,अद्भुत है बारात।।१
शिव गौरा व्याहन चले, सकल देवता संग।
भूत प्रेत पिशाच सभी, मचा रहे हुडदंग।।२
बैठे नंदी बैल पर, भस्म रमाये अंग।
भाल चंद्रमा शोभते, लिपटे कंठ भुजंग।। ३
व्याघ्र चर्म तन पर पहन,नर मुन्डों की माल।
महा भयानक रूप है, पकड़े हाथ कपाल।। ४
बूढ़ा-सा मुखरा लगे, आँख नशे से लाल।।
जटा जूट बिखरे हुए, लम्बे-लम्बे बाल।।५
बने हुए शिव जोगिया, किये अजब श्रृंगार।
मतवाला भोला हुए, छलके गंगा धार।। ६
बजा रहे डमरू स्वयं, थामे हाथ त्रिशूल।
तीन लोक के देव हैं, आज गये हैं भूल।। ७
ब्रह्मा जी वीणा लिए, इन्द्र बजाये चंग।
मस्ती में सब झूमते, पी कर प्याला भंग।।८
गदा लिए हनुमान जी, नाच रहे दे ताल।
भूतों की टोली लिए, आये शिव ससुराल।। ९
हिमगिरि स्वागत में खड़े, ले मैना को संग।
अद्भुत माया जाल है, देव लोग हैं दंग।। १०
-लक्ष्मी सिंह