महिला — समाज का आईना
एक महिला अपने आप में सम्पूर्ण है, ईश्वरीय दिव्य गुणों से परिपूर्ण धरा पर एक उपहार है, सबल होते हुए भी जब स्त्री पहचान और अस्तित्व के लिए समाज की और देखती है तो चिन्तन ज़रूरी है।
आत्मविश्वास और पारीवारिक सहयोग उसके सपनों को साकार करने के लिए एक तटस्थ भूमिका निभाता है। अपनी प्रतिभा को गुमनामी के अंधेरों में खो देना नियामत में ख़यानत है।
पापा से संस्कारों की विरासत पाथी। तभी से यही लौ लगायी थी,
थक कर भी थकना न चाहूं,
हार कर भी हारना न चाहूं,
अवसर मिले जब भी जीवन में,
एक नया मुकाम मैं पाऊं।
बस जब चाह थी तो राह भी मिल गई।जिसने दिखा दिया–
ज़िंदगी हो ख्वाब ही,
ख्वाब से मोती चुनो।
बरंग , बेरंग जीवन में,
मनचाहे रंग से सतरंग बुनो।
सौम्य, सरल ,गरिमामय , सादगीपूर्ण सौन्दर्य का प्रतिरूप, साधारण को असाधारण प्रतिभा से तराश कर एक अतुलनीय शिल्पी सा इतिहास रच देना है। चेतना की रौशनी से अपने भीतर की कल्पना शक्ति और ऊर्जा से जीवन की सार्थकता सिद्ध करने का संकल्प ही खूबसूरती है।
ऐसा आलौक– जहां जायेगा , रौशनी लुटाएगा।
चिराग का अपना कोई मकान नहीं होता।
अपनी अनूठी पहचान से दिव्यता को दर्शाएगा।
वास्तव में प्रभु द्वारा मानव शरीर की इस सुन्दर भेंट के प्रति हमारी यह नैतिक ही नहीं , एक आत्मिक ज़िम्मेदारी के साथ हमारी समाज के प्रति संवेदना का स्वाभाविक गुण है कि—
हम न सोचें, मिला क्या है ज़िंदगी से,
हम यह सोचें– किया क्या है अर्पण??
उन्हीं से ही सीखा,
भले ही पंख नहीं है।
चाह उसी आसमां की है,
जो अनन्त है।
और इसी के साथ–
न ख्वाबों का तिलिस्म सजाया है।
न चकाचौंध में खुद को भटकाया है।
अपने कुछ इरादों को, कुछ वादों को,
निभाने का क्रम सतत चलाया है।
महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में उन्हीं से सीखा किस तरह युवा बालिकाओं को शिक्षा के महत्व, आत्मनिर्भरता की राह पर सुदृढ़ होना, मासिक धर्म के परेशानियों के लिए सचेत होना – महिला स्वास्थ्य ही राष्ट्र के स्वास्थ्य का दर्शन और दर्पण है ,इस दिशा में प्रयासरत होते हुए आज मैं जानती हूं, ।
मेरा महिला वर्ग ही मेरा स्वाभिमान है।
सेवा में समर्पित होना मेरी पहचान है।
सच ही तो है लम्हे खूबसूरत नहीं होते, वे लोग खूबसूरत होते हैं जो समय की रंगत सजाते हैं।
अकेलापन जब चुभता हो,
भीतर जब कुछ दुखता हो,
कोई तो हो अपना सा जो
प्रीत के रंग भरता हो।
आज समाज परिवार में जो गौरवशाली स्थायित्व मुझे प्राप्त है,उसका श्रेय दिशा निदेशक के चरणों में रखते हुए मै यही कहूंगी कि —
वक्त की गर्दिश का ग़म न करो
हौंसले मुश्किलों में पलते हैं।
समझा– उपलब्धि प्लेट में परोसी हुई नहीं मिलती।
जुनून जगाना होता है, कुछ भी हासिल करने के लिए।
लगन और मेहनत से खुलते हैं कामयाबी के दरवाज़े।
लक्ष्य को मुकाम तक, ख्वाब को सच में बदल पहचान बना लेना, है मुमकिन तभी जब इरादें मज़बूत होते हैं।
भंवर पर पतवार चलाने हुनर साथ होते हैं।
जो चट्टानों पर नक्ष बनाना जानते हैं वही नसीब अपनी कलम से लिखना जानते हैं।
डॉ पूनम ग्रोवर